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Trible of Jharkhand

 

झारखंड, पूर्वी भारत का एक राज्य, कई स्वदेशी आदिवासी समुदायों का घर है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा, परंपराएं और प्रथाएं हैं। झारखंड की कुछ प्रमुख जनजातियों में शामिल हैं:

मुंडा: अपनी मार्शल आर्ट, कृषि पद्धतियों और जटिल आभूषण बनाने के कौशल के लिए प्रसिद्ध। सरहुल का त्यौहार मुंडाओं के बीच महत्वपूर्ण है। मुंडा जनजाति मुख्य रूप से झारखंड के रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा जिले में रहती है।

संथाल: इस क्षेत्र की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक, जो अपने जीवंत नृत्य रूपों, संगीत और सोहराई और करमा जैसे पारंपरिक त्योहारों के लिए जानी जाती है। संथाल जनजाति मुख्यतः संथाल परगना नामक क्षेत्र में निवास करती है। संथाल परगना को 05 जिलों में विभाजित किया गया है जो कि दुमका, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज हैं।

हो: कृषि और हस्तशिल्प में कुशल, हो जनजाति पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ मागे पोरोब और सोहराई जैसे त्योहार मनाती है। हो आदिवासी झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां क्षेत्र में रहते हैं।

उराँव (कुरुख): अपनी कृषि विशेषज्ञता के लिए जाने जाने वाले उराँव में लोक गीतों, नृत्यों और अनुष्ठानों की एक समृद्ध परंपरा है। वे मागे परब और कर्मा जैसे विभिन्न त्यौहार मनाते हैं। झारखंड के रांची, सिमडेगा, खूंटी और गुमला जिले में रहने वाले ओरांव जनजाति के लोग।

खरिया: मुख्य रूप से जंगली इलाकों में रहने वाली, खरिया जनजाति अपनी अनूठी सांस्कृतिक प्रथाओं के साथ-साथ शिकार और संग्रह कौशल के लिए जानी जाती है। खरिया जनजाति झारखंड के रांची, सिमडेगा, खूंटी और गुमला जिले में रहती है।


संताल परगना (दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज): मुख्य रूप से संथाल परगना क्षेत्र में रहने वाले संताल, पहाड़िया, बेदिया, महली और अन्य सहित विभिन्न आदिवासी समूहों का एक समामेलन।

प्रत्येक जनजाति की अपनी बोली, रीति-रिवाज और परंपराएं हैं जो झारखंड की विविध सांस्कृतिक विरासत में योगदान करती हैं। इन समुदायों का अक्सर प्रकृति से गहरा संबंध होता है और उनकी जीवनशैली अक्सर उनके पर्यावरण से जुड़ी होती है।

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