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हेलेन केलर || Helen Adams Keller

Helen Keller                       

विश्व की प्रथम बधिर - नेत्रहीन स्नातक 

हेलेन केलर 

           हेलेन केलर साहस और धैर्य की प्रतीक थी। जबरदस्त बाधाओं  के बावजूद अपने संकल्प और उपलब्धियां के कारण दुनिया भर में उनका मान-सम्मान किया जाता है। केलर का जन्म 27 जून 1880 को अलबामा के टुसकुंबिया में हुआ था। जन्म से ही वे न तो देख सकती थी और न ही सुन सकती थी। उन्होंने बोलना तब शुरू किया जब वह 6 महीने की थी और 9 महीने में चलना भी शुरू कर दिया। केलर जब 19 महीने की थी, तब उन्हें एक बीमारी हो गई, जो संभवत: लाल ज्वर या दिमागी बुखार हो सकता है।  इस बीमारी के कारण वह नेत्रहीन और बधिर हो गई । अपनी बीमारी के कारण वह बेकाब और उदंड भी होगी। 

      अनेक सगे-संबंधियों की जहाँ यह राय थी कि उन्हें सुधार की आवश्यकता है, वहीं उनकी माँ कैथरीन अन्य उपायों की तलाश में डजुटी थी। 

       सन 1886 में कैथरीन को चार्ल्स डिकेंस के यात्रा वृतांत "अमेरिका नोट्स" से प्रेरणा मिली, जिसमें लारा ब्रिजमैन नाम के एक बधिर और नेत्रहीन बच्चों की सफल शिक्षा का वर्णन था। इसके बाद केलर को नेत्रहीनों के उसी साउथ बोस्टन स्थित परकिंस स्कूल में भेजा गया जहां ब्रिजमैन को शिक्षा मिली थी। स्कूल के डायरेक्टर माइकल अनागनोस  ने सुझाव दिया कि हेलेन को हाल ही में पढ़ाई पूरी कर चुकी 20 वर्षीय एन०  सुलिवान के साथ काम करना चाहिए, जो स्वयं नेत्रहीन थी।  

     

Helen Keller

 मार्च 1887 में और सुलिवान केलर के घर पहुंची और केलर  को उँगलियों की स्पेलिंग से संवाद करने की शिक्षा देनी शुरू कर दी। अन्य लोगों के साथ संवाद करने की क्षमता हासिल करने का संकल्प कर चुकी केलर ने सन 1890 में बोस्टन स्थित बधिरों के होरेस मैन स्कूल में स्पीच की क्लास लेनी शुरू कर दी। सन 1990 में उन्होंने मैसाचुसेट्स  के कैंब्रिज में रेडक्लिफ कॉलेज में दाखिला लिया। सुलिवान केलर के साथ रेडक्लिफ जाती और बगल में बैठकर उन्हें लेक्चर एवं पाठ का अर्थ समझती थी। सन 1904 में 24 साल की उम्र में बैचलर आफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली बधिर-नेत्रहीन बन गई। इस बीच केलर ने संवाद के कई तरीकों में महारत हासिल कर ली थी, जिसमें ब्रेल, टच-लिपि रीडिंग, स्पीच, टाइपिंग और फिंगर स्पेलिंग शामिल थे।  ग्रेजुएशन के बाद वह सामाजिक और राजनीतिक रूप से दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में पूरी तरह सक्रिय हो गई।  उन्होंने महिलाओं के मताधिकार शांति एवं परिवार नियोजन जैसे मुद्दों पर काम किया।  उन्होंने कांग्रेस के समक्ष नेत्रहीनों के जीवन को बेहतर बनाने की शपथ ली। 

              जॉर्ज केसलरकी सहायता से उन्होंने नेत्रहीनता और कुपोषण से निपटने के लिए "हेलेन इंटरनेशनल" की स्थापना की। सन 1920 में अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता संग की स्थापना में उन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की।  केलर ने बदनसीबों की मदद के लिए कई अन्य संस्थाओं की सदस्यता भी ली। सुलीवान के साथ उन्होंने 40 से भी अधिक देशों का दौरा किया। उन्होंने ग्रोवर क्लीवलैंड से लेकर लिंडन बी० जॉनसन जैसे अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मुलाकात की तथा अलेक्जेंडर ग्राहम बेल, चार्ली चैपलिन और मार्क टवेन जैसी हस्तियों से भी उनके दोस्ताना संबंध थे। सन 1909 से 1921 के बीच उन्होंने समाजवाद पर कई लेख लिखें।  सन 1955 में 75 वर्ष की आयु में केलर एशिया की 40 मिल की दूरी की ट्रैकिंग पर निकली।  

           केलर ने कुल 12 पुस्तकें  लिखे।  22 वर्ष की आयु में केलर ने सुलिवान और सुलिवान के प्रति जॉन मेसी की मदद से अपनी आत्मकथा "द स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ" का प्रकाशन किया।  सन 1908 में उन्होंने "द वर्ल्ड आई लिव इन" की रचना की, जिसने पाठकों को यह एहसास कराया कि वह इस संसार के विषय में क्या सोचती है। 

        अपने शानदार उपलब्धियां के कारण केलर ने अनेक सम्मान प्राप्त किया, जिसमें सन 1936 में मिला विशिष्ट सेवा मेडल सन, 1964 में 'प्रेसीडेंसी मेडल ऑफ फ्रीडम' तथा सन 1965 में 'वूमेन हॉल आफ फेम' के लिए चुना जाना सम्मिलित है। उन्हें हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के साथ अन्य विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट कि मानद  उपाधि मिली। 

        सन 1961 में केलर को एक के बाद एक कई बार दिल का दौरा पड़ा अंततः1 जून 1968 को नींद में ही उनकी मृत्यु हो गई। अपने 88वें जन्मदिन  के कुछ हफ्ते पहले उन्होंने अंतिम सांस ली।  अपनी तमाम विकृतियों के कारण केलर ने यह दिखा दिया की संकल्प, कठिन परिश्रम, निरंतरता और प्रेरणा से कोई भी व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को पार कर महानता  प्राप्त कर सकता है। 

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