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मारिया गोपर्ट मेयर || Maria Goeppert Mayer


मारिया  गोपर्ट मेयर    

               मारिया गोपर्ट मेयर का जन्म 28 जून 1906 को जर्मनी में हुआ था।  उनके पिता बच्चों के डॉक्टर थे।  मारिया जब चार वर्ष की थी, तब उनका परिवार गाँटींजन जाकर बस गया था, ताकि उनके पिता वहाँ अध्यापन कार्य कर सकें। मारिया अपने पिता को अपना आदर्श मानती थीं। उनकी आरंभिक शिक्षा एक प्राइवेट स्कूल में हुई। 

         तत्कालीन समय में गाँटींजन  विद्या का, विशेषकर भौतिकी का प्रमुख विश्व केंद्र था।  मारिया को एक बहुत अच्छा वैज्ञानिक वातावरण मिला। मारिया ने वर्ष 1930 में अपने शोध के दौरान एक परिकल्पना व्यक्त की , जिसके अनुसार किसी परमाणु की कक्ष में चक्कर लगाते हुए इलेक्ट्रॉन यदि न्यूक्लियस अर्थात केन्द्रक के ओर कूदता है तो वह दो फोटॉन ऊर्जा उत्सर्जित करता है।  उनकी यह गणना वर्ष 1960 में प्रायोगिक रूप से सत्य साबित हुई।  मारिया ने वर्ष 1930 में एक भौतिक रसायनविद (फिजिकल केमिस्ट) जोसेफ ई० मेयर से विवाह किया, फिर दोनों बाल्टीमोर चले गए।  वहाँ मारिया को वैकल्पिक नौकरी मिल गई, और ऑफिस भी मिल गया, परंतु वेतन नहीं मिलता था।  बाल्टीमोर में रहते हुए उन्हें एक पुत्री-रत्न प्राप्ति हुई, जिसका नाम मारिया एन० रखा गया।  इस दौरान उन्होंने दस शोध - पत्र तथा एक पुस्तक भी प्रकाशित की।  वर्ष 1938 में उनके पति की जॉन्स हॉपकिंग विश्वविद्यालय की प्रोफेसरशिप छूट गई तथा उन्हें कोलंबिया जाना पड़ा।  वहाँ उन्होंने सांख्यिकीय मेकेनिक्स पर एक पुष्तक लिखी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मारिया ने यूरेनियम के आइसोटोप के पृथक्क़रण पर कार्य किया।  युद्ध के बाद कोलंबिया के भौतिकशास्त्री शिकागो स्थानांतरित हो गए और मारिया व उनके पति को भी शिकागो जाना पड़ा। 

           मारिया ने शिकागो यूनिवर्सिटी के न्यूक्लियर स्टडीज़ इंस्टीटयूट तथा एरगाँन नेशनल लेबोरटरी में कार्य किया।  वर्ष 1948 में उन्होंने न्यूक्लियर शैल मॉडल पर शोध कार्य आरंभ किया।  शिकागो ने मारिया को बड़े सम्मानपूर्वक स्वीकार किया; परंतु वहाँ भी अवैतनिक रूप से कार्यरत रहीं। वर्ष 1956 में वे नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज में निर्वाचित हुई।  तीन वर्ष बाद मारिया और जोसेफ (उनके पति ) ने सैन डियागो के न्यू यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया कैंपस में प्रोफेसरशिप स्वीकार कर ली।  वर्ष 1963 में न्यूक्लियर शैल मॉडल के लिए मारिया को एक अन्य वैज्ञानिक के साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से प्राप्त हुआ।  इस प्रकार नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली वे तीसरी महिला वैज्ञानिक थीं। 

         उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने पर सैन डियागो के समाचार - पत्रों की प्रमुख हेड - लाइन थी 'एस० डी० मदर विन्स नोबेल प्राइज' मारिया  ने अपना अधिकतर वैज्ञानिक कार्य एक स्वयंसेवी (वालंटियर) के रूप में किया। 20 फ़रवरी, 1972 को उनका देहांत हो गया।   


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