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विश्व का सबसे ज्यादा बारिश होने वाला स्थान मौसिनराम || Mawsynram, the rainiest place in the world


Mawsynram, the rainiest place in the world

विश्व का सबसे ज्यादा बारिश होने वाला स्थान मौसिनराम  

           मेघालय में स्थित मौसिनराम ऐसा स्थान है, जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाला स्थान माना जाता है।  यहां 16 जून 2022 को सुबह 8:30 बजे जो मूसलधार बारिश शुरू हुई वह अगले दिन सुबह 8:30 बजे तक चलती रही।  मात्र 24 घंटे में 1003.6 मिलीमीटर बारिश हो गई।  इससे पहले देश में एक दिन में इससे भी ज्यादा बारिश 1563.3 मिलीमीटर चेरापूंजी में 16 जून, 1995 में हुई थी।  

        मौसिनराम में 7 जून, 1996 को एक दिन में 945.4 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो इससे पहले वहां हुई सबसे ज्यादा एक दिन में हुई बारिश थी।  जरा सोचिए, जिस स्थान पर इतनी बारिश होती है, वहां लोग कैसे रहते होंगे? 


              विश्व में सबसे ज्यादा नमी वाले स्थान के लिए मौसिनराम का नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज है।  यहां बंगाल की खाड़ी की वजह से काफी नमी है। यहां औसतन सालाना बारिश 11,871 मिलीमीटर होती है।  गिनीज बुक में दर्ज है कि वर्ष 1985 में मौसिनराम  में 26,000 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा। 

         मौसिनराम अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी अत्यंत प्रसिद्ध है। वर्षा में यहां ऊंचाई से गिरते पानी के झरने और कुहासे जैसे घने बादलों को करीब से देखने का अपना ही आनंद है।  किसी भी स्थान पर रहने वाले लोगों का जीवन वहां की जलवायु पर बहुत अधिक निर्भर करता है।  मौसिनराम और चेरापूंजी में, जहां हमेशा मौसम नमी भरा रहता है, वहां के लोगों का पहनावा, खान-पान और काम-काज सबकुछ रेगिस्तान में रहने वाले से बिल्कुल अलग होती है। लगातार  होने वाली बारिश के कारण यहाँ खेती करने की संभावना नहीं होती। इसीलिए यहाँ सबकुछ दूसरे गांव और शहरों से आता है। यहाँ लोग हमेशा अपने साथ बाँस से बनी छतरियाँ रखते है।  उन्हें 'कनूप' कहा जाता है।  बारिश की वजह से सड़के बहुत जल्दी खराब हो जाती है। इसीलिए लोगों का बहुत-सा समय उनकी मरम्मत में ही लग जाता है।  यहां के लोगों का जीवन बहुत मुश्किल है।  

           


        बंगाल की खाड़ी का मानसून दक्षिणी हिंद महासागर की स्थायी पवनों की वह शाखा है, जो भूमध्य रेखा को पार करके भारत में पूर्व की और प्रवेश करती है। यह मानसून सबसे पहले म्यांमार की अराकान योमा तथा पियूयोमा पर्वतमालाओं से टकराता है, जिससे यहां उत्तर-पूर्व में तेज बारिश होती है।  फिर ये मानसूनी हवाएं सीधे उत्तर की दिशा में मुड़कर गंगा के डेल्टा क्षेत्र से होकर खासी पहाड़ियों तक पहुंचती है और लगभग 1,500 मीटर की ऊंचाई तक उठकर मेघालय के चेरापूंजी और मौसिनराम नामक स्थान पर घनघोर वर्षा करती है। 

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